आंध्रप्रदेश के निशांत कुमार ने 1 घंटे में 840 नंबरों को याद करके लिम्का रिकार्ड बनाया था, जिसे राजवीर ने तोड़ा है। उसने बताया कि ये रिकॉर्ड कैसे बनते हैं। 12वीं क्लास तक यह पता नहीं था, इसीलिए उसने वीआईटी, वेल्लोर में एडमिशन लिया, अभी वह बीटेक बायोटेक्नोलॉजी फाइनल ईयर का स्टूडेंट है। वह इंडियन फॉरेन सर्विसेज में सलेक्ट होकर देश के लिए कुछ करना चाहता है। सवाईमाधोपुर जिले के छोटे से गांव मोहचा के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला राजवीर बचपन से ही पढ़ने में बहुत फिसड्डी रहा, उसने बताया कि, मैं कक्षा-5 तक सेकंड व थर्ड डिवीजन पास होता था।उसके पिता धमेंद्र सिंह मीणा रेलवे में हैं। बाद में कोटा आकर 2 साल पीएमटी की तैयारी की, लेकिन सलेक्शन नहीं हो सका। उसे थ्योरी कभी समझ में नहीं आती थी। 2006 में मेमोरी गुरु कृष्ण चहल की एक घंटे की एक सेमीनार के बाद उसने ठान लिया कि वह भी कुछ नया करके दिखाएगा। बस यहीं से 100 नंबरों की सीक्वेंस को याद करने के लिए उसने हजारों ट्रिक्स तैयार कर ली और प्रैक्टिस करता रहा। 3 साल की कड़ी मेहनत के बाद वह रिकॉर्ड तोड़ने में सफल रहा। साइंस के स्टूडेंट पाई के मान 3.14 के बाद कुछ ही डिजिट आसानी से याद रख पाते हैं, लेकिन राजवीर 3.14 के बाद आने वाले 40 हजार जटिल अंकों को कैलकुलेटर की तरह धाराप्रवाह सुना देता है। इसमें भी वह लिम्का रिकॉर्ड से कुछ ही दूर है। मेमोरी गुरु कृष्ण चहल के नाम 43 हजार अंकों का रिकॉर्ड दर्ज है, जिसे वह जल्द ही तोड़ना चाहता है।
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अभिषेक तिवारी "प्रिंस जी" |
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