जब तुम्हारी याद आती है , तस्वीरे मै देखता हूँ ।
जो तुम न मुस्कुराती हो , तो बगीचे के फूल सुख जाते है ।
‘योगेश’ जब भी लिखता हूँ , शब्द कम पड़ जाते है ।
सुबह दोपहर शाम तक , चर्चा तुम्हारी होती है ।
एक तरफा तो नहीं है ये , हिचकिया मुझे भी आती है ।
शब्दो से क्या बया करू , ऐसा कोई शब्दकोश
मे ही नहीं ।
तुम्हारी याद मे जब कलम चलती है, तो पन्ने ही
कम पड़ जाते है ।
जब तुम्हारे साथ चलता हूँ , तो लोग जल कर
रह जाते है ।
अगर तुम अकेले जाओ तो , मेरा मन बेचैन
होता है ।
कभी चेहरा तो कभी , मुस्कान मै भी पढ़ता हूँ ।
शायद इसी विषय को लेकर , पी एच डी मै
भी करता हूँ ।
बहुत बात होती है पर , न मुलाक़ात हो
पाती है ।
यह मै कैसे लिखू कि , तुम्हारी ही
इंतज़ार होती है ।
गीले शिकवे सब मीट जाते है , जब तुम साथ
होती हो
जो तुम साथ न हो तो , साँसे रुक सी जाती है ।
जो तुम साथ न हो तो , साँसे रुक सी जाती है ।
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Yogesh Pandey |
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